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प्रेम और धीरज से कम-से-कम अस्सी प्रतिशत बच्चों के जटिल संस्कारों की निर्जरा की जा सकती है, इसी विश्वास के साथ ऋषिप्रवर वाल्मीकि के आश्रम के द्वार मैंने राक्षस सन्ततियों के लिए भी खोल दिये। ‘तृन धरी ओट’ – अनामिका लेखक परिचय अनामिका साहित्य अकादेमी पुरस्कार तथा अन्य कई राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित अनामिका का जन्म 17 अगस्त, 1961 को मुजफ़्फ़रपुर, बिहार में हुआ। वे दिल्ली विश्वविद्यालय में अंग्रेज़ी की प्रोफ़ेसर हैं। देश-दुनिया की बहुतेरी भाषाओं में अनूदित उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं-अनुष्टुप, बीजाक्षर, कविता में औरत, दूब-धान, ख़ुरदरी हथेलियाँ, टोकरी में दिगन्त, पानी को सब याद था, वकिंग विमेन्स हॉस्टल और अन्य कविताएँ, बन्द रास्तों का सफ़र, My Typewriter is म My Piano, Vaishali Corridors (कविता-संकलन), अवान्तर कथा, दस द्वारे का पींजरा, तिनका तिनके पास, आईनासाज, तृन धरि ओट (उपन्यास); स्त्रीत्व का मानचित्र, साहित्य का नया लोक, स्वाधीनता का स्त्री-पक्ष, त्रिया चरित्र: उत्तरकांड, Feminists Poetics : Where Kingfishers Catch Fire, Donne Criticism Down the Ages, Treatment of Love and War in Post-War Women Poets, Proto-Feminist Hindi-Urdu World(1920-1964), Translating Racial Memory, Hindi Literature Today (आलोचना); स्त्री विमर्श का लोकपक्ष, स्त्री विमर्श की उत्तरगाथा, स्त्री मुक्ति: साझा चूल्हा, मन माँजने की ज़रूरत, मौसम बदलने की आहट, हिन्दी साहित्य का उपाकाल (निबन्ध-संकलन); कहती हैं औरतें, रिल्के की कविताएँ- अब भी वसन्त को तुम्हारी ज़रूरत है, रवीन्द्रनाथ टैगोर, नागमण्डल, द ग्रास इज़ सिंगिंग, मेरा शरीर मेरी आत्मा का सौतेला बेटा, खोयी हुई चीज़ें, बारिश ने हाथ उठाकर बस रुकवाई (अनुवाद); भारतीय कविता सीरीज़ व बीसवीं सदी का हिन्दी महिला लेखन (सम्पादन); Founder - Editor : Pashyantee Billingual (A Womanist Journal Dedicated to Samrasya : Equipoise) #Vani61 #TrinDhariOt #Anamika #Novel #VaniBooks #VaniAuthors #ReadWithani #अपनीभाषाअपनागौरव #bookavailableinamazon #bookavailableinflipkart #bestbook #onlinebookavailable #VaniPrakashan

5/17/2024, 8:06:49 AM

दलित विमर्श दलित चेतना की एक मंजिल है, अंतिम मंजिल नहीं। इसी तरह स्त्रीवाद स्त्री चेतना की एक मंजिल है, अंतिम ठिकाना नहीं। -शंभुनाथ ‘इतिहास में अफवाह : उत्तर- आधुनिक संकट से गुजरते हुए’ लेखक परिचय शंभुनाथ जन्म : 21 मई, 1948 हिंदी के प्रतिष्ठित लेखक और विचारक । कलकत्ता विश्वविद्यालय के पूर्व-प्रोफ़ेसर। केंद्रीय हिंदी संस्थान में 2006-08 के बीच निदेशक के रूप में कार्य । संप्रति - भारतीय भाषा परिषद के निदेशक और 'वागर्थ' मासिक के संपादक । प्रमुख पुस्तकें : संस्कृति की उत्तरकथा (2000), सभ्यता से संवाद (2008), रामविलास शर्मा (2011), भारतीय अस्मिता और हिंदी (2012), कवि की नई दुनिया (2012), राष्ट्रीय पुनर्जागरण और रामविलास शर्मा (2013), उपनिवेशवाद और हिंदी आलोचना (2014), प्रेमचंद का हिंदुस्तान : साम्राज्य से राष्ट्र (2014), हिंदी उपन्यास : राष्ट्र और हाशिया (2016), हिंदू मिथक: आधुनिक मन (2019), भारत की अवधारणा (2020), भारतीय नवजागरण : एक असमाप्त सफर (2022), हिंदी नवजागरण : भारतेंदु और उनके बाद (2022)। संपादित पुस्तकें : सामाजिक क्रांति के दस्तावेज (दो खंड, 2004), 1857, नवजागरण और भारतीय भाषाएँ (2007), हिंदी पत्रकारिता : हमारी विरासत (दो खंड, 2012), प्रसाद और राष्ट्रीय मुक्ति आंदोलन (2013), हिंदी साहित्य ज्ञानकोश (सात खंड, 2019)। #Vani61 #NewRelease #ItihasMeinAfwaah #Shambhunath #VaniBooks #VaniAuthors #VaniReader #अपनीभाषाअपनागौरव #bookavailableinamazon #bookavailableinflipkart #bestbook #onlinebookavailable #VaniPrakashan

5/16/2024, 7:57:23 PM

ज़िन्दगी भी कमोबेश इस तरह के खेल का नाम है और शर्तें भी इसी तरह की। जैसे कि साँस लेना। ज़िन्दगी भर साँस ही तो लेते रहते हैं हम। हमें पता ही नहीं होता और हमारा जिस्म साँस ले रहा होता है। - ज्ञानप्रकाश विवेक ‘छोटी सी दुनिया’ पुस्तक से लेखक परिचय: ज्ञानप्रकाश विवेक जन्म : 30 जनवरी 1949 (बहादुरगढ़)। तैंतीस वर्ष तक एक साधारण बीमा कम्पनी में नौकरी और सेवानिवृत्ति के बाद पूर्णकालिक लेखन । प्रकाशित पुस्तकें : उपन्यास : गली नम्बर तेरह, दिल्ली दरवाज़ा, अस्तित्व, आखेट, चाय का दूसरा कप, तलघर, डरी हुई लड़की, नयी दिल्ली एक्सप्रेस, विस्थापित तथा व्हीलचेयर। कहानी-संग्रह : अलग-अलग दिशाएँ, जोसफ़ चला गया, शहर गवाह है, पिताजी चुप रहते हैं, इक्कीस कहानियाँ, शिकारगाह, सेवानगर कहाँ है, मुसाफ़िरखाना, बदली हुई दुनिया, कालखण्ड तथा मेरी पसन्दीदा कहानियाँ। गज़ल-संग्रह : धूप के हस्ताक्षर, आँखों में आसमान, इस मुश्किल वक़्त में, गुफ़्तगू अवाम से है, घाट हज़ारों इस दरिया के, दरवाज़े पर दस्तक तथा काग़ज़ी छतरियाँ बनाता हूँ। कविता-संग्रह : दरार से झाँकती रोशनी। आलोचना : हिन्दी ग़ज़ल की विकास-यात्रा, हिन्दी ग़ज़ल दुष्यन्त के बाद, हिन्दी ग़ज़ल की नयी चेतना । उर्दू शायरी/आलोचना : उर्दू शायरी : रिवायत से जदीदियत का सफ़र । फेलोशिप : वर्ष 2014-2015 में संस्कृति मन्त्रालय द्वारा हिन्दी ग़ज़ल पर सीनियर फ़ेलोशिप । फ़िल्म तथा लघु फ़िल्में : 'कैद' कहानी पर जनमंच द्वारा फ़िल्म का निर्माण । शिमला दूरदर्शन द्वारा 'मोड़' तथा 'बेदख़ल' कहानियों पर लघु फ़िल्मों का निर्माण । क्लासिक कहानियों की श्रृंखला में, वाराणसी दूरदर्शन केन्द्र द्वारा 'शिकारगाह' कहानी का फ़िल्मांकन । 'छोटी-सी दुनिया', 'बूढ़ा', 'पापा तुम कहाँ हो', 'क्षमा करना माँ' का नाट्य-मंचन । सम्मान : हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा वर्ष 2021 में 'आजीवन साहित्य साधना सम्मान' । 'इन्दु शर्मा अन्तरराष्ट्रीय कथा सम्मान' (यूके) द्वारा डरी हुई लड़की उपन्यास को, वर्ष 2021 में। सेवानगर कहाँ है कहानी-संग्रह को राजस्थान पत्रिका द्वारा वर्ष 2000 में 'सर्वश्रेष्ठ कथा सम्मान' । पता : बहादुरगढ़-124507 (हरियाणा) । #Vani61 #NewRelease #ChhotisiDuniya #GyanPrakashVivek #Stories #VaniAuthor #VaniBooks #ReadWithVani #अपनीभाषाअपनागौरव #bookavailableinamazon #bookavailableinflipkart #bestbook #onlinebookavailable #VaniPrakashan

5/15/2024, 8:28:02 PM

...मैं भी तो तुमसे वही कह रहा हूँ। मेरे लिए ही नहीं तुम्हारे लिए भी पढ़ाई उतनी ही ज़रूरी है। यदि किसी परेशानी के कारण तुम एक दिन भी स्कूल नहीं जाओगी तो ज़िन्दगी की दौड़ में तुम भी उतनी ही पिछड़ जाओगी... - जयप्रकाश कर्दम ‘वर्जिन’ कहानी से ‘उधार की ज़िन्दगी’ पुस्तक से लेखक परिचय : जयप्रकाश कर्दम जन्म : 05 जुलाई 1958 को ग्राम-इन्दरगढ़ी, हापुड़ रोड, ग़ाज़ियाबाद (उत्तर प्रदेश) में । शिक्षा : एम.ए. (दर्शनशास्त्र, हिन्दी, इतिहास), पीएच.डी. (हिन्दी)। साहित्य-सृजन : हिन्दी साहित्य की विभिन्न विधाओं में 50 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित । कई पुस्तकें और रचनाएँ देश-विदेश के अनेक विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में शामिल। कर्नाटक राज्य में प्रथम प्री-यूनिवर्सिटी (सीनियर सेकेंडरी) के हिन्दी पाठ्यक्रम में भी एक कहानी शामिल । कई पुस्तकों सहित अनेक रचनाएँ देश/विदेश की अनेक भाषाओं में अनूदित एवं प्रकाशित । साहित्य पर शोध : देश/विदेश के अनेक विश्वविद्यालयों में जयप्रकाश कर्दम के साहित्य पर 70 से अधिक शोध-कार्य सम्पन्न । कई शोध-कार्य जारी हैं। पुरस्कार/सम्मान : केन्द्रीय हिन्दी संस्थान द्वारा 'महापण्डित राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार', हिन्दी अकादमी दिल्ली द्वारा 'विशेष योगदान सम्मान', उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा 'लोहिया साहित्य सम्मान', दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी द्वारा 'सन्त रविदास सम्मान', सत्यशोधक समाज, मुम्बई द्वारा 'सत्यशोधक सम्मान' और हिन्दी संगठन, मॉरिशस द्वारा 'हिन्दी सेवा सम्मान' सहित अनेक सम्मान पुरस्कारों से सम्मानित । केन्द्रीय हिन्दी प्रशिक्षण संस्थान, नयी दिल्ली के निदेशक-पद से सेवानिवृत्त । #Vani61 #NewRelease #UdharKiZindagi #JaiPrakashKardam #Stories #VaniAuthor #VaniBooks #ReadWithVani #अपनीभाषाअपनागौरव #bookavailableinamazon #bookavailableinflipkart #vaniprakashan

5/13/2024, 11:19:02 AM

गोडावण पक्षी के विलुप्ति के कगार पर पहुँचने के पीछे मौजूद कारणों को दो तरीक़े से विभाजित किया जा सकता है। कुछ कारण ऐसे हैं जो इतिहास में मौजूद रहे हैं और जिनके चलते ही उनकी संख्या इतनी कम होकर आज वाली स्थिति तक सिमट आयी है। 'गोडावण : मोरे अँगना की सोन चिरैया’ - कबीर संजय लेखक परिचय: 10 जुलाई 1977 को इलाहाबाद में जन्मे कबीर संजय का मूल नाम संजय कुशवाहा है। पढ़ाई-लिखाई इलाहाबाद विश्वविद्यालय से । इलाहाबाद(प्रयागराज) के साहित्यिक-सांस्कृतिक माहौल का उन पर गहरा असर रहा है । कथाकार रवीन्द्र कालिया के सम्पादकत्व में इलाहाबाद से निकलने वाली साप्ताहिक पत्रिका 'गंगा यमुना' में उनकी पहली कहानी 1996 में प्रकाशित हुई । तब से ही 'तद्भव', 'नया ज्ञानोदय’, ‘पल प्रतिपल', 'लमही', 'कादम्बिनी', 'वर्तमान साहित्य', ‘इतिहास बोध', 'दैनिक हिन्दुस्तान' जैसे पत्र-पत्रिकाओं में कहानियाँ प्रकाशित होती रही हैं । ‘नया ज्ञानोदय' में प्रकाशित कहानी पत्थर के फूल का लखनऊ में मंचन । समय-समय पर कविताएँ भी प्रकाशित होती रही हैं । कहानी संग्रह सुरखाब के पंख प्रकाशित । इस कहानी संग्रह पर प्रथम रवीन्द्र कालिया स्मृति सम्मान से पुरस्कृत । वन्यजीवन पर चीता : भारतीय जंगलों का गुम शहज़ादा पुस्तक प्रकाशित। सोशल माध्यम फ़ेसबुक पर वन्यजीवन और पर्यावरण पर लोकप्रिय पेज जंगलकथा का संचालन। साहित्य के अलावा सामाजिक-राजनीतिक गतिविधियों में भी शामिल रहे हैं। फ़िलहाल, साहित्य और पत्रकारिता में रमे हुए हैं। #Vani61 #वाणीपृथ्वी #NewRelease #GodavanMoreAnganaKiSonChiraiya #KabeerSanjay #SocialScience #NonFiction #VaniPrithvi #Nature #VaniAuthor #VaniBooks #ReadWithVani #अपनीभाषाअपनागौरव #bookavailableinamazon #bookavailableinflipkart #bestbook #onlinebookavailable #VaniPrakashan

5/11/2024, 7:50:37 PM

कहते हैं कि एक सफल मर्द के पीछे एक औरत का हाथ होता है। पंजाब के खेतों से लेकर दिल्ली के सियासी गलियारों तक का मेरा यही अनुभव रहा है कि एक असफल औरत के पीछे पूरी मर्द क़ौम का हाथ होता है। -मुकेश भारद्वाज ‘नक़्क़ाश’ पुस्तक से लेखक परिचय :- मुकेश भारद्वाज इंडियन एक्सप्रेस समूह में पत्रकारिता की शुरुआत कर हिन्दी दैनिक 'जनसत्ता' के कार्यकारी सम्पादक तक का सफर । 'इंडियन एक्सप्रेस' व 'जनसत्ता' में अंग्रेज़ी और हिन्दी दोनों भाषा में काम किया। लेकिन 'जनसत्ता' की कमान संभालने के बाद महसूस हुआ कि जब हम जन की भाषा में पत्रकारिता करते हैं तो उस समाज और संस्कृति का हिस्सा होते हैं जिससे हमारा नाभिनाल सम्बन्ध है। पिछले कुछ समय से समाज और राजनीति के नये ककहरे से जूझने की जद्दोजहद जारी है। संचार के नये साधनों ने पुरानी दुनिया का ढाँचा ही बदल दिया है। स्थानीय और स्थायी जैसा कुछ भी नहीं रहा। एक तरफ़ राज्य का संस्थागत ढाँचा बाज़ार के खम्भों पर नया-नया की चीख़ मचाये हुए है तो चेतना के स्तर पर नया मनुष्य पुराना होने की जिद पाले बैठा है। राजनीति वह शय है जो भूगोल, संस्कृति के साथ आबोहवा बदल रही है। लेकिन हर कोई एक-दूसरे से कह रहा कि राजनीति मत करो। जब एक विषाणु ने पूरी दुनिया पर हमला किया तो लगा इन्सान बदल जायेगा, लेकिन इन्सान तो वही रहा और पूरी दुनिया की राजनीति लोकतन्त्र से तानाशाही में बदलने लगी। राजनीति के इसी सामाजिक, भौगोलिक, आर्थिक और सांस्कृतिक यथार्थ को 'जनसत्ता' में अपने स्तम्भ 'बेबाक बोल' के ज़रिये समझने की कोशिश की जिसने हिन्दी पट्टी में एक ख़ास पहचान बनायी। 'बेबाक बोल' के सभी लेख एक समय बाद किताब के रूप में पाठकों के हाथ में होते हैं। इसके बाद प्रेम और राजनीति के परिप्रेक्ष्य में नये युग की अपराध-कथा कहता यह उपन्यास नक़्क़ाश। #Vani61 #NewRelease #Nakkash #MukeshBhardwaj #Novel #VaniAuthor #VaniBooks #bookavailableinamazon #bookavailableinflipkart #bestbook #onlinebookavailable #VaniPrakashan #VaniBooks #ReadWithVani #अपनीभाषाअपनागौरव

5/11/2024, 8:20:49 AM

समय तो हमारा शत्रु नहीं हो सकता। अपनी प्रगति से वह हमें सम्पन्न ही बनाता है। गुलाब पर उषा की बूँदों को तो हम फिर से नहीं सजा सकते, मगर गुलाब तो हमारे हाथ में है। -रामधारी सिंह 'दिनकर' (सम्पादक : अरविन्द सिंह) लेखक परिचय : रामधारी सिंह दिनकर का जन्म 23 सितम्बर 1908 को बिहार के बेगूसराय जिले के सिमरिया ग्राम में हुआ था। उनके पिता जी बाबू रवि सिंह एक साधारण किसान थे एवं माता मनरूप देवी एक कुशल गृहिणी। रामधारी सिंह दिनकर ने प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद पढ़ने के लिए कई किलोमीटर पैदल चलकर मध्य विद्यालय से लेकर मैट्रिक परीक्षा पास की। मैट्रिक परीक्षा में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने पर उन्हें 'भूदेव स्वर्ण पदक' दिया गया। 1932 में पटना कॉलेज से इतिहास में प्रतिष्ठा हासिल की। पारिवारिक बोझ के कारण हाई स्कूल बरबीघा (मुंगेर) में वर्ष 1933-34 में प्राध्यापक पद स्वीकार किया। सब रजिस्ट्रार से लेकर जन सम्पर्क विभाग, बिहार के उप-निदेशक के पद पर उन्होंने कार्य किया। स्नातक की डिग्री होने के बावजूद साहित्य से गहरा लगाव और विषय में दक्षता के कारण सन् 1950 में लंगट सिंह कॉलेज, मुज़फ़्फ़रपुर में हिन्दी के प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष पद पर नियुक्ति हुई। 1952 में जब भारत की प्रथम संसद का निर्माण हुआ तब उन्हें राज्यसभा के लिए निर्वाचित किया गया जो लगभग 12 वर्षों तक रहे। बाद में दिनकर जी सन् 1964-1965 तक भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति रहे। वर्ष 1965 से 1971 तक भारत सरकार के प्रथम हिन्दी सलाहकार के रूप में उन्होंने बहुत ही महत्त्वपूर्ण कार्य किये। राष्ट्रकवि दिनकर ने विभिन्न पदों पर रहते हुए साहित्य सृजन में कोई कमी न की और प्रमुख कृति ‘रेणुका’, ‘हुंकार’, ‘रसवन्ती’, ‘द्वन्द्वगीत’, ‘कुरुक्षेत्र’, ‘सामधेनी’, ‘रश्मिरथी’, ‘उर्वशी’, संस्कृति के चार अध्याय एवं अन्य का प्रकाशन किया। सन् 1973 में 'उर्वशी' काव्य प्रबन्ध के लिए उन्हें ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ से नवाज़ा गया। लोग उन्हें गर्जन और हुंकार के कवि के रूप में जानते थे, लेकिन जिस प्रकार प्रकाश के अनेक रंग होते हैं, ठीक उसी प्रकार दिनकर की कविता के भी कई रंग हैं। दिनकर सात्त्विक क्रोध, कोमल करुणा और अनुपम सौन्दर्य के अद्भुत कवि थे। #Vani61 #NewRelease #RamdhariSinghDinkar #NibandhonKiDuniya #Essay #VaniAuthor #VaniBooks #ReadWithVani #अपनीभाषाअपनागौरव #VaniBooks #bookavailableinamazon #bookavailableinflipkart #bestbook #onlinebookavailable #VaniPrakashan

5/10/2024, 5:47:51 PM

मार दो भूखा हम सबको, कला के नाम पर। करते रहो थियेटर। और कुछ नहीं तो एक लम्बी रस्सी ला दो। चार लोगों को फाँसी लगाने के लिए लम्बी रस्सी। हर रोज़ की भूख से तो लम्बी रस्सी सस्ती भी है और सुखद भी। -स्वदेश दीपक ‘काल कोठरी’ पुस्तक से पुस्तक खरीदने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करें https://tinyurl.com/3nuv8tce (𝐕𝐚𝐧𝐢 𝐎𝐟𝐟𝐢𝐜𝐢𝐚𝐥 𝐖𝐞𝐛𝐬𝐢𝐭𝐞) https://amzn.in/d/2tARvih (𝐚𝐦𝐚𝐳𝐨𝐧) https://tinyurl.com/35n7ryjt (𝐟𝐥𝐢𝐩𝐤𝐚𝐫𝐭) https://tinyurl.com/2s45nwed (E-Book) #वाणीकालजयी लेखक परिचय : स्वदेश दीपक हिन्दी साहित्य के प्रतिष्ठित और प्रशंसित लेखक व नाटककार स्वदेश दीपक का जन्म रावलपिण्डी में 6 अगस्त, 1942 को हुआ। अंग्रेज़ी साहित्य में एम.ए. करने के बाद उन्होंने लम्बे समय तक गाँधी मेमोरियल कॉलेज, अम्बाला छावनी में अध्यापन किया । दशकों तक अम्बाला ही उनका निवास स्थान रहा। सन् 1991 से 1997 तक दुनिया से कटे रहने के बाद जीवन की ओर बहुआयामी वापसी करते हुए उन्होंने कई कालजयी कृतियाँ रचीं जिनमें मैंने माँडू नहीं देखा और सबसे उदास कविता के साथ-साथ कई कहानियाँ शामिल हैं। वे उन कुछेक नाटककारों में से हैं, जिन्हें संगीत नाटक अकादेमी सम्मान हासिल हुआ। यह सम्मान उन्हें सन् 2004 में प्राप्त हुआ । कोर्ट मार्शल स्वदेश दीपक का सर्वश्रेष्ठ नाटक है। अरविन्द गौड़ के निर्देशन में अस्मिता थियेटर ग्रुप द्वारा भारत भर में इस नाटक का 450 से भी अधिक बार मंचन किया गया। सन् 2006 की एक सुबह वे टहलने के लिए निकले और घर नहीं लौट पाये। तब से उनका पता लगाने की सारी कोशिशें नाकाम रही हैं। रचनाएँ : अश्वारोही, मातम, तमाशा, बाल भगवान, किसी अप्रिय घटना का समाचार नहीं, मसखरे कभी नहीं रोते, निर्वाचित कहानियाँ (कहानियाँ); नम्बर 57 स्क्वाड्रन, मायापोत (उपन्यास), बाल भगवान, जलता हुआ रथ, सबसे उदास कविता, काल कोठरी (नाटक); मैंने माँडू नहीं देखा (संस्मरण)। #Vani61 #VaniKaljayi #KaalKothri #SwadeshDeepak #Memoirs #Play #VaniBooks #bookavailableinamazon #bookavailableinflipkart #bestbook #onlinebookavailable #VaniPrakashan #VaniAuthor #ReadWithVani #अपनीभाषाअपनागौरव

5/10/2024, 10:23:56 AM

कुछ ऐसी ही ज़िन्दगी मेरी है, मेरे ज़हन के झरोकों से झाँकती यादें दिल के आँगन में आतिशबाज़ी के फूलों की तरह मूसलाधार चमक कर बरसती हैं। जब बारूदी फूलों को हथेली के कटोरों में लेना चाहूँ तब वे हाथ आने से पहले पानी के बुलबुले की तरह फूट अपना वजूद गुम कर देते हैं। -नासिरा शर्मा 'कुछ रंग थे ख़्वाबों के’ पुस्तक से लेखक परिचय नासिरा शर्मा का जन्म सन् 1948 में इलाहाबाद में हुआ। उन्होंने फ़ारसी भाषा साहित्य में एम.ए. किया। हिन्दी, उर्दू, अंग्रेज़ी, पश्तो एवं फारसी पर उनकी गहरी पकड़ है। वह ईरानी समाज और राजनीति के अतिरिक्त साहित्य, कला व संस्कृति विषयों की विशेषज्ञ हैं। इराक़, अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान व भारत के राजनीतिज्ञों तथा प्रसिद्ध बुद्धिजीवियों के साथ उन्होंने साक्षात्कार किये, जो बहुचर्चित हुए। ईरानी युद्धबन्दियों पर जर्मन व प्क्झांसीसी दूरदर्शन के लिए बनी फ़िल्म में उनका महत्त्वपूर्ण योगदान रहा। सर्जनात्मक लेखन में प्रतिष्ठा प्राप्त करने के साथ ही स्वतन्त्र पत्रकारिता में भी उन्होंने उल्लेखनीय कार्य किया है। #Vani61 #NewRelease #KuchRangTheKhawabonKe #NaseraSharma #Novel #VaniAuthor #VaniBooks #ReadWithVani #अपनीभाषाअपनागौरव #bookavailableinamazon #bookavailableinflipkart #bestbook #onlinebookavailable #vaniprakashan

5/9/2024, 4:49:12 PM

दुनिया कहाँ से कहाँ पहुँच गयी है और हम आज भी रिवाज़े-आम जैसे दकियानूसी क़ानूनों की आड़ लेकर, औरतों को उनके हक़ों से उन्हें दूर रखने पर तुले हुए हैं। ‘काँस’ – भगवानदास मोरवाल लेखक परिचय : भगवानदास मोरवाल जन्म : 23 जनवरी, 1960; नगीना, जिला नूह (मेवात) हरियाणा । शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी) एवं पत्रकारिता में डिप्लोमा। कृतियाँ : काला पहाड़ (1999), बाबल तेरा देस में (2004), रेत (2008), नरक मसीहा (2014), हलाला (2015), सुर बंजारन (2017), वंचना (2019), शकुतिका ( 2020), खानजादा (2021), -मोक्षवन (2023) सभी उपन्यास: सीढ़ियाँ, माँ और उसका देवता (2008), लक्ष्मण-रेखा (2010), दस प्रतिनिधि कहानियाँ (2014), धूप से जले सूरजमुखी (2021), महराब और अन्य कहानियाँ (2021), कहानी अब तक (दो खण्ड, 2023) कहानी संग्रह; पकी जेठ का गुलमोहर (2016), यहाँ कौन है तेरा (2023) स्मृति-कथा, लेखक का मन (2017) वैचारिकी; दोपहरी चुप है (1990) कविता; बच्चों के लिए कलयुगी पंचायत (1997) एवं अन्य दो पुस्तकों का सम्पादन; कुछ कृतियों का अंग्रेज़ी और अन्य भाषाओं में अनुवाद | सम्मान पुरस्कार : मुंशी प्रेमचंद स्मारक सारस्वत सम्मान (2020-21), दिल्ली विधानसभा; वनमाली कथा सम्मान, भोपाल (2019): स्पन्दन कृति सम्मान, भोपाल (2017), श्रवण सहाय एवार्ड (2012); जनकवि मेहरसिंह सम्मान (2010) हरियाणा साहित्य अकादमी; अन्तर्राष्ट्रीय इन्दु शर्मा कथा सम्मान (2009) कथा (यूके) लन्दन; शब्द साधक ज्यूरी सम्मान (2009); कथाक्रम सम्मान, लखनऊ (2006), साहित्यकार सम्मान (2004) हिन्दी अकादमी, दिल्ली सरकार, साहित्यिक कृति सम्मान (1994) हिन्दी अकादमी, दिल्ली सरकार; साहित्यिक कृति सम्मान (1999) हिन्दी अकादमी, दिल्ली सरकार पूर्व राष्ट्रपति श्री आर. वेंकटरमण द्वारा मद्रास का राजाजी सम्मान(1995), डॉ. अम्बेडकर सम्मान (1985) भारतीय दलित साहित्य अकादमी, पत्रकारिता के लिए प्रभादत्त मेमोरियल एवार्ड (1985) तथा शोभना एवार्ड (1984)। जनवरी 2008 में ट्यूरिन (इटली) में आयोजित भारतीय लेखक सम्मेलन में शिरकत । पूर्व सदस्य, हिन्दी अकादमी, दिल्ली सरकार एवं हरियाणा साहित्य अकादमी। #bookavailableinamazon #bookavailableinflipkart #bestbook #onlinebookavailable #VaniPrakashan #Vani61 #NewRelease #Kaans #BhagwandasMorwal #Novel #VaniAuthor #VaniBooks #ReadWithVani #अपनीभाषाअपनागौरव

5/9/2024, 1:04:51 PM

Posted @withregram • @pujyaswami_omaji "कविताओं में महकता है एक कवि के हृदय का स्वेद... अनुभव और शब्दो की जोड़ तोड़ से किसी गहने सी बनती हैं कविताएं.. इस लिए बहुत महंगी होती है सच्ची कविताएं..! आज गुरुदेव रोबिंद्र नाथ ठाकुर को जन्मतिथि के सुअवसर पर टैगोर की ही परिपाटी के गीतकार, कवि, कथाकार,नाटककार, और फिल्मकार "गुलज़ार साहब" ने अरुण माहेश्वरी के सानिध्य में पढ़ी "वाणी प्रकाशन" से प्रकाशित तथा स्वामी ओेमा The अक् की पुस्तक "महंगी कविता" और इस विचार को सराहना की कि हिंदी उर्दू में साहित्य को उचित मूल्य अवश्य मिलना चाहिए क्यों की यह एक कवि के जीवन भर की कमाई या संपत्ति होती है..!" Gulzar @gulzar.official #mahangikavita #omatheakk #theakk #VaniPrakashan #vanipublication @highlight @followers @everyone @top fans #gulzar #gulzarshayari #hindi #hindikavita #hindikavitapremi #trending #trendingnow

5/8/2024, 1:41:02 PM

"कविताओं में महकता है एक कवि के हृदय का स्वेद... अनुभव और शब्दो की जोड़ तोड़ से किसी गहने सी बनती हैं कविताएं.. इस लिए बहुत महंगी होती है सच्ची कविताएं..! आज गुरुदेव रोबिंद्र नाथ ठाकुर को जन्मतिथि के सुअवसर पर टैगोर की ही परिपाटी के गीतकार, कवि, कथाकार,नाटककार, और फिल्मकार "गुलज़ार साहब" ने अरुण माहेश्वरी के सानिध्य में पढ़ी "वाणी प्रकाशन" से प्रकाशित तथा स्वामी ओेमा The अक् की पुस्तक "महंगी कविता" और इस विचार को सराहना की कि हिंदी उर्दू में साहित्य को उचित मूल्य अवश्य मिलना चाहिए क्यों की यह एक कवि के जीवन भर की कमाई या संपत्ति होती है..!" Gulzar #mahangikavita #omatheakk #theakk #VaniPrakashan #vanipublication @highlight @followers @everyone @top fans #gulzar #gulzarshayari #hindi #hindikavita #hindikavitapremi #gulzar #trending #trendingnow

5/8/2024, 11:10:14 AM

"कविताओं में महकता है एक कवि के हृदय का स्वेद... अनुभव और शब्दो की जोड़ तोड़ से किसी गहने सी बनती हैं कविताएं.. इस लिए बहुत महंगी होती है सच्ची कविताएं..! आज गुरुदेव रोबिंद्र नाथ ठाकुर को जन्मतिथि के सुअवसर पर टैगोर की ही परिपाटी के गीतकार, कवि, कथाकार,नाटककार, और फिल्मकार "गुलज़ार साहब" ने अरुण माहेश्वरी के सानिध्य में पढ़ी "वाणी प्रकाशन" से प्रकाशित तथा स्वामी ओेमा The अक् की पुस्तक "महंगी कविता" और इस विचार को सराहना की कि हिंदी उर्दू में साहित्य को उचित मूल्य अवश्य मिलना चाहिए क्यों की यह एक कवि के जीवन भर की कमाई या संपत्ति होती है..!" Gulzar #mahangikavita #omatheakk #theakk #VaniPrakashan #vanipublication @highlight @followers @everyone @top fans #gulzar #gulzarshayari #hindi #hindikavita #hindikavitapremi #trending #trendingnow

5/8/2024, 11:07:54 AM

दरअसल जब आदमी भागता है तो ज़मीन पर वह सिर्फ़ अपने पैरों के निशान नहीं छोड़ता, बल्कि हर निशान के साथ वहाँ की धूल में अपनी गन्ध भी छोड़ जाता है। ‘श्रीकान्त वर्मा स्मृति पुरस्कार’ से पुरस्कृत कृति तिरिछ – उदय प्रकाश लेखक परिचय: उदय प्रकाश हिन्दी कथा और कविता में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं। जन्म 1 जनवरी 1952 को छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के सीमान्त जिले अनूपपुर के छोटे-से गाँव सीतापुर में। प्राथमिक, माध्यमिक शिक्षा गाँव और अनूपपुर में हुई। विज्ञान में स्नातक तथा हिन्दी साहित्य में उत्तर स्नातक । उदय प्रकाश कप्तान अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय, रीवा; हरि सिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर, मध्य प्रदेश तथा जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नयी दिल्ली से सम्बद्ध रहे। हिन्दी पाठकों के बीच अपनी 'दरियाई घोड़ा', 'पॉल गोमरा का स्कूटर' और 'पीली छतरी वाली लड़की' जैसी बहुचर्चित कहानियों के लिए जाने जाते हैं। लम्बी कहानी 'मोहनदास' को 'साहित्य अकादेमी पुरस्कार' । लेखन को 'भारतभूषण अग्रवाल सम्मान', 'कथा क्रम सम्मान', 'वनमाली सम्मान', 'पहल सम्मान', 'मुक्तिबोध' सहित कई सम्मानों से नवाजा जा चुका है। मोहनदास, पीली छतरी वाली लड़की, तिरिछ, वारेन हेस्टिंग्स का साँड़, और अन्त में प्रार्थना, दरियाई घोड़ा, अरेवा-परेवा, मैंगोसिल आदि कहानी-संग्रह हैं। सुनो कारीगर, अबूतर कबूतर, रात में हारमोनियम, अम्बर में अबाबील प्रमुख कविता-संग्रह हैं। कला अनुभव, इंदै : रोम्या रोलां की डायरी, अमृतसर : इन्दिरा गांधी की आख़िरी लड़ाई के अतिरिक्त विश्व के प्रमुख कवियों की समय-समय पर अनुवादित पुस्तकें हैं। दूरदर्शन के राष्ट्रीय चैनल तथा प्रसार भारती के लिए टीवी धारावाहिकों का निर्देशन, निर्माण, शोध एवं लेखन । भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, रामविलास शर्मा, धर्मवीर भारती, विजयदान देथा आदि साहित्यकारों पर साहित्य अकादेमी तथा हिन्दी अकादेमी के लिए वृत्तचित्रों का निर्माण, निर्देशन । 'उपरान्त', 'मोहनदास', 'नशीबवान' फ़िल्मों की पटकथाएँ एवं संवाद । अन्तरराष्ट्रीय पुस्तक मेलों और शीर्ष व्याख्यानमालाओं में कई देशों में भागीदारी। न्यूयॉर्क तथा जोहांसबर्ग, दक्षिण अफ्रीका के विश्व हिन्दी सम्मेलन में भागीदारी। लगभग समस्त भारतीय तथा विश्व की लगभग समस्त प्रमुख भाषाओं में रचनाओं के अनुवाद तथा पुस्तकें प्रकाशित। इन दिनों स्वतन्त्र लेखन, पत्रकारिता एवं यात्राएँ। #bookavailableinamazon #bookavailableinflipkart #bestbook #onlinebookavailable #VaniPrakashan #Vani61 #Tirichh #UdayPrakash #AwardedBook #Story #VaniAuthor #VaniBooks

5/8/2024, 10:51:53 AM

#पुण्यतिथि वरिष्ठ उर्दू आलोचक, शायर, नाटककार प्रो. शमीम हनफ़ी की पुण्यतिथि पर सादर नमन! #Vani61 #VaniPrakashan #ShamimHanfi #VaniBooks #VaniAuthor #ReadWithVani #अपनीभाषाअपनागौरव

5/6/2024, 10:15:35 AM

#VaniBlog बहुचर्चित लेखिका अंकिता जैन ने अपनी पुस्तक ‘ओह रे! किसान’ में बहुत गहरे उतरकर भूमिपुत्रों की परिस्थिति और मन:स्थिति का बेहद प्रभावशाली दृश्य प्रस्तुत किया है। नौकरी हो या व्यापार; संसार के सभी कर्म हम अपनी सुविधा से, अपने मन के मुताबिक़ कर सकते हैं, किन्तु कृषि एकमात्र कर्म है जिसे हमें मन के नहीं मौसम के अनुसार करना होता है, वह भी बिना रुके और बिना थके। -आशुतोष राणा प्रस्तुत अंश में अंकिता जैन ने प्राकृतिक खेती की चर्चा करते हुए उसकी महत्ता और लाभ की व्याख्या की है; साथ ही प्राकृतिक खेती के जनक माने जाने वाले मासानोबू फुकुओका के खेती के तौर-तरीकों पर भी दृष्टि डाली गयी है। #Vani61 #OhReKisan #AnkitaJain #SocialScience #Environment #Agriculture #VaniPrakashan #readblog #blog #blogger #blogging #VaniBooks #VaniAuthor #ReadWithVani #अपनीभाषाअपनागौरव

5/5/2024, 9:01:08 PM

#वाणीकालजयी शब्दों ने काग़ज़ पर उतरने से इनकार कर दिया। अब वह किसी के बोले गये शब्दों की तरफ़ दोस्ती का हाथ नहीं बढ़ाते। मुझे अपनों का मिलने आना बुरा लगने लगा। मेरी दुनिया सिमटकर सिर्फ़ मुझ तक रह गयी। ‘मैंने माण्डू नहीं देखा’ – स्वदेश दीपक लेखक परिचय : स्वदेश दीपक हिन्दी साहित्य के प्रतिष्ठित और प्रशंसित लेखक व नाटककार स्वदेश दीपक का जन्म रावलपिण्डी में 6 अगस्त, 1942 को हुआ। अंग्रेज़ी साहित्य में एम.ए. करने के बाद उन्होंने लम्बे समय तक गाँधी मेमोरियल कॉलेज, अम्बाला छावनी में अध्यापन किया । दशकों तक अम्बाला ही उनका निवास स्थान रहा। सन् 1991 से 1997 तक दुनिया से कटे रहने के बाद जीवन की ओर बहुआयामी वापसी करते हुए उन्होंने कई कालजयी कृतियाँ रचीं जिनमें मैंने माँडू नहीं देखा और सबसे उदास कविता के साथ-साथ कई कहानियाँ शामिल हैं। वे उन कुछेक नाटककारों में से हैं, जिन्हें संगीत नाटक अकादेमी सम्मान हासिल हुआ। यह सम्मान उन्हें सन् 2004 में प्राप्त हुआ । कोर्ट मार्शल स्वदेश दीपक का सर्वश्रेष्ठ नाटक है। अरविन्द गौड़ के निर्देशन में अस्मिता थियेटर ग्रुप द्वारा भारत भर में इस नाटक का 450 से भी अधिक बार मंचन किया गया। सन् 2006 की एक सुबह वे टहलने के लिए निकले और घर नहीं लौट पाये। तब से उनका पता लगाने की सारी कोशिशें नाकाम रही हैं। रचनाएँ : अश्वारोही, मातम, तमाशा, बाल भगवान, किसी अप्रिय घटना का समाचार नहीं, मसखरे कभी नहीं रोते, निर्वाचित कहानियाँ (कहानियाँ); नम्बर 57 स्क्वाड्रन, मायापोत (उपन्यास), बाल भगवान, जलता हुआ रथ, सबसे उदास कविता, काल कोठरी (नाटक); मैंने माँडू नहीं देखा (संस्मरण)। #bookavailableinamazon #bookavailableinflipkart #bestbook #onlinebookavailable #VaniPrakashan #Vani61 #VaniKaljayi #MaineManduNahinDekha #SwadeshDeepak #Memoirs #Diary #VaniBooks #VaniAuthor #ReadWithVani #अपनीभाषाअपनागौरव

5/5/2024, 6:08:10 PM

एक लड़की जब लिखना शुरू करती है तब उसके लेखन से ज़्यादा उसके व्यक्तिगत मामलों में लोगों की रुचि होती है। ~ तसलीमा नसरीन ✔️Buy Online : ‘औरत के हक में’ पुस्तक https://tinyurl.com/ye9z3wy4 (𝐕𝐚𝐧𝐢 𝐎𝐟𝐟𝐢𝐜𝐢𝐚𝐥 𝐖𝐞𝐛𝐬𝐢𝐭𝐞) https://amzn.in/d/gvlefjB (𝐚𝐦𝐚𝐳𝐨𝐧) https://tinyurl.com/22e9vvke (𝐟𝐥𝐢𝐩𝐤𝐚𝐫𝐭) 𝘼𝙗𝙤𝙪𝙩 𝙏𝙝𝙚 𝘼𝙪𝙩𝙝𝙤𝙧 : तसलीमा नसरीन ने अनगिनत पुरस्कार और सम्मान अर्जित किये हैं, जिनमें शामिल हैं-मुक्त चिन्तन के लिए यूरोपीय संसद द्वारा प्रदत्त - सखारव पुरस्कार; सहिष्णुता और शान्ति प्रचार के लिए यूनेस्को पुरस्कार; फ्रांस सरकार द्वारा मानवाधिकार पुरस्कार; धार्मिक आतंकवाद के ख़िलाफ संघर्ष के लिए फ्रांस का एडिट द नान्त पुरस्कार; स्वीडन लेखक संघ का टूखोलस्की पुरस्कार; जर्मनी की मानववादी संस्था का अर्विन फिशर पुरस्कार; संयुक्त राष्ट्र का फ्रीडम नाम रिलिजन फाउण्डेशन से फ्री थॉट हीरोइन पुरस्कार और बेल्जियम के मेंट विश्वविद्यालय से सम्मानित डॉक्टरेट! वे अमेरिका की ह्युमैनिस्ट अकादमी की ह्युमैनिस्ट लॉरिएट हैं। भारत में दो बार, अपने 'निर्वाचित कलाम' और 'मेरे बचपन के दिन' के लिए वे 'आनन्द पुरस्कार' से सम्मानित । तसलीमा की पुस्तकें अंग्रेज़ी, फ्रेंच, इतालवी, स्पैनिश, जर्मन समेत दुनिया की तीस भाषाओं में अनूदित हुई हैं। मानववाद, मानवाधिकार, नारी-स्वाधीनता और नास्तिकता जैसे विषयों पर दुनिया के अनगिनत विश्वविद्यालयों के अलावा, इन्होंने विश्वस्तरीय मंचों पर अपने बयान जारी किये हैं। 'अभिव्यक्ति के अधिकार' के समर्थन में, वे समूची दुनिया में, एक आन्दोलन का नाम बन चुकी हैं। #bookavailableinamazon #bookavailableinflipkart #bestbook #onlinebookavailable #VaniPrakashan #Vani61 #AuratKeHaqMein #TaslimaNasrin #VaniAuthor #VaniBooks #ReadWithVani #अपनीभाषाअपनागौरव

5/5/2024, 1:38:46 PM

शब्द की तरह स्वतन्त्र और सार्थक होने के बावजूद कोई भी रचनात्मक कृति अपने-आप में निरपेक्ष और सन्दर्भहीन नहीं हुआ करती। ‘कहानी का स्त्री-समय’ – रोहिणी अग्रवाल ✔️Buy Online : https://tinyurl.com/9tctsjnz (𝐕𝐚𝐧𝐢 𝐎𝐟𝐟𝐢𝐜𝐢𝐚𝐥 𝐖𝐞𝐛𝐬𝐢𝐭𝐞) https://amzn.in/d/94yhcqa (𝐚𝐦𝐚𝐳𝐨𝐧) https://tinyurl.com/3jnbk4ur (𝐟𝐥𝐢𝐩𝐤𝐚𝐫𝐭) https://tinyurl.com/3e2ymets (E-Book) #Vani61 #NewRelease #KahaniKaStriSamay #RohiniAgarwal #Criticism #VaniAuthor #VaniBooks #ReadWithVani #अपनीभाषाअपनागौरव #bookavailableinamazon #bookavailableinflipkart #bestbook #onlinebookavailable #vaniprakashan

5/4/2024, 10:12:48 AM

#जन्मदिवस अगर जन्नत की ख़ाक भी उड़े तब भी उसकी कोई कीमत नहीं होती है! -कुणाल बसु 'चित्रकार' अनुवाद : प्रभात मिलिंद अंग्रेज़ी भाषा के भारतीय उपन्यासकार और कथा लेखक कुणाल बसु को जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ ✔️Buy Online : https://tinyurl.com/mpuz3wc9 (𝐕𝐚𝐧𝐢 𝐎𝐟𝐟𝐢𝐜𝐢𝐚𝐥 𝐖𝐞𝐛𝐬𝐢𝐭𝐞) https://amzn.in/d/6j8IliU (𝐚𝐦𝐚𝐳𝐨𝐧) https://tinyurl.com/mwajbtj2 (𝐟𝐥𝐢𝐩𝐤𝐚𝐫𝐭) https://tinyurl.com/bkratzy6 (E-Book) 𝘼𝙗𝙤𝙪𝙩 𝙏𝙝𝙚 𝘼𝙪𝙩𝙝𝙤𝙧 : कुणाल बसु अंग्रेज़ी भाषा के भारतीय उपन्यासकार और कथा लेखक। जन्म 4 मई 1956 को पश्चिम बंगाल के कोलकाता में। पाँच उपन्यास प्रकाशित दी ओपियम क्लर्क (2001), दी मिनीचिएरिस्ट (2003), रेसिस्ट्स (2006), दी येलो एम्पेरर्स क्योर (2011) और कलकत्ता (2015) तथा एक कहानी संग्रह दी जापानीज़ वाइफ (2008) प्रकाशित। दी जापानीज़ वाइफ पर भारतीय फ़िल्मकार अपर्णा सेन द्वारा फ़िल्म निर्माण। सम्प्रति ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के सईद बिज़नेस स्कूल में अध्यापन। प्रभात मिलिन्द, अनुवादक। जन्म 16 फ़रवरी 1968 को जमालपुर, बिहार में। शिक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास में एम. ए. की अधूरी पढ़ाई। कविताएँ, कहानियाँ, समीक्षाएँ, आलेख, डायरी अंश और अनुवाद हिन्दी की सभी शीर्ष पत्रिकाओं में प्रकाशित। सम्प्रति स्वतन्त्र लेखन और अनुवाद। #Vani61 #Chitrakar #KunalBasu #Novel #VaniBooks #VaniAuthor #ReadWithVani #अपनीभाषाअपनागौरव #birthdayquotes #bookavailableinonline #vaniprakashan

5/4/2024, 7:29:55 AM

#VaniBlog राधा भट्ट की पुस्तक ‘वे दिन वे लोग : एक संस्मरण यात्रा’ में संस्मरणों के बहाने एक सदी की कहानी है। यह उत्तराखण्ड की गाथा कहती है और देश की भी। इसमें एक ग्रामीण लड़की के सक्रियतापूर्वक 90 साल पार कर जाने और इन दशकों के सामाजिक आन्दोलनों की कहानी कही गयी है। प्रस्तुत अंश में राधा भट्ट ने अपने आश्रम के दौर के समय को याद करते हुए शिक्षिका के तौर पर दिए योगदान और ज़िन्दगी के कुछ अनमोल लम्हों का ज़िक्र किया है। पढ़िए हमारे ब्लॉग पर यह अंश। पूरा ब्लॉग पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें : https://tinyurl.com/mry74cb8 𝘼𝙗𝙤𝙪𝙩 𝙏𝙝𝙚 𝘼𝙪𝙩𝙝𝙤𝙧 : राधा भट्ट राधा बहन का जन्म 16 अक्टूबर 1933 को अलमोड़ा के धुरका गाँव में हुआ। पढ़ाई के लिए छुटपन से ही तड़प लिए वे 1951 की शुरुआत में सरला बहन द्वारा कौसानी में स्थापित लक्ष्मी आश्रम में शिक्षिका बनीं। 1957 से 61 के बीच सर्वोदय-भूदान आन्दोलन में सक्रिय रहीं। 1961 से 65 के बीच बौगाड़ में ग्रामीण नव निर्माण का काम किया । नशाबन्दी, वन, टिहरी बाँध तथा खनन विरोधी आन्दोलनों के बाद नदी बचाओ आन्दोलन में सक्रिय हिस्सेदारी । पिछले 6 दशकों में डेनमार्क, स्वीडन, नॉर्वे, फिनलैंड, कनाडा, मैक्सिको, अमेरिका आदि अनेक देशों में कभी विद्यार्थी और कभी शिक्षिका के रूप में काम किया। 1966 से 89 तक लक्ष्मी आश्रम (कस्तूरबा महिला उत्थान मण्डल) की सचिव रहीं। उत्तराखण्ड, हिमालय और शेष देश में लगातार यात्राएँ और जनान्दोलनों में शिरकत की। देश और विदेश में गांधी विचार, पर्यावरण, हिमालय, नयी तालीम, तिब्बत और जनान्दोलनों के साथ मानव तथा स्त्री अधिकार पर लगातार बोलती-लिखती रहीं । लक्ष्मी आश्रम, हिमालय सेवा संघ, गांधी स्मारक निधि, कस्तूरबा ट्रस्ट, गांधी शान्ति प्रतिष्ठान, महिला हाट, गुजरात विद्यापीठ आदि से आप सदा अभिन्न रहीं और संस्था निर्माता-पोषक बनीं। अनेक पुरस्कारों से अलंकृत 90 साल पूरे कर चुकीं राधा बहन हमारे बीच एक प्रेरक उपस्थिति हैं । #Vani61 #VaniBooks #VaniAuthor #ReadWithVani #अपनीभाषाअपनागौरव #mahabharat #mahabharatkatha #mahabharatquotes #mahabharatinbook #VaniPrakashan #kahanimahabharatki #readblog #blog #blogger #blogging #VeDinVeLogEkSansmaranYatra #RadhaBhatta #Memoirs #VaniBooks #VaniAuthor #ReadWithVan

5/3/2024, 7:55:09 PM

#Hot_Off_The_Press #नयीबहार वे दिन वे लोग : एक संस्मरण यात्रा – राधा भट्ट यह पुस्तक एक ग्रामीण लड़की के सक्रियतापूर्वक 90 साल पार कर जाने और इन दशकों के सामाजिक आन्दोलनों की कहानी भी कहती जाती है। सरला बहन की शिष्या और गांधीवादी विरासत को सँवारने वाली राधा बहन की सक्रिय सामाजिकता और जन आन्दोलनों की ऊष्मा इन संस्मरणों में रची-बसी है। ✔️Buy Online : https://tinyurl.com/ms7kv9dd (𝐕𝐚𝐧𝐢 𝐎𝐟𝐟𝐢𝐜𝐢𝐚𝐥 𝐖𝐞𝐛𝐬𝐢𝐭𝐞) https://amzn.in/d/3gS2IIa (𝐚𝐦𝐚𝐳𝐨𝐧) https://tinyurl.com/3z6a9er6 (𝐟𝐥𝐢𝐩𝐤𝐚𝐫𝐭) 𝘼𝙗𝙤𝙪𝙩 𝙏𝙝𝙚 𝘼𝙪𝙩𝙝𝙤𝙧 राधा भट्ट - राधा बहन का जन्म 16 अक्टूबर 1933 को अलमोड़ा के धुरका गाँव में हुआ। पढ़ाई के लिए छुटपन से ही तड़प लिए वे 1951 की शुरुआत में सरला बहन द्वारा कौसानी में स्थापित लक्ष्मी आश्रम में शिक्षिका बनीं। 1957 से 61 के बीच सर्वोदय-भूदान आन्दोलन में सक्रिय रहीं। 1961 से 65 के बीच बौगाड़ में ग्रामीण नव निर्माण का काम किया । नशाबन्दी, वन, टिहरी बाँध तथा खनन विरोधी आन्दोलनों के बाद नदी बचाओ आन्दोलन में सक्रिय हिस्सेदारी । पिछले 6 दशकों में डेनमार्क, स्वीडन, नॉर्वे, फिनलैंड, कनाडा, मैक्सिको, अमेरिका आदि अनेक देशों में कभी विद्यार्थी और कभी शिक्षिका के रूप में काम किया। 1966 से 89 तक लक्ष्मी आश्रम (कस्तूरबा महिला उत्थान मण्डल) की सचिव रहीं। उत्तराखण्ड, हिमालय और शेष देश में लगातार यात्राएँ और जनान्दोलनों में शिरकत की। देश और विदेश में गांधी विचार, पर्यावरण, हिमालय, नयी तालीम, तिब्बत और जनान्दोलनों के साथ मानव तथा स्त्री अधिकार पर लगातार बोलती-लिखती रहीं । लक्ष्मी आश्रम, हिमालय सेवा संघ, गांधी स्मारक निधि, कस्तूरबा ट्रस्ट, गांधी शान्ति प्रतिष्ठान, महिला हाट, गुजरात विद्यापीठ आदि से आप सदा अभिन्न रहीं और संस्था निर्माता-पोषक बनीं। अनेक पुरस्कारों से अलंकृत 90 साल पूरे कर चुकीं राधा बहन हमारे बीच एक प्रेरक उपस्थिति हैं । #Vani61 #NewRelease #VeDinVeLogEkSansmaranYatra #RadhaBhatt #Memoirs #NewArrival #vanipublicationgroup #bestbookstoreinonline #BestPublication #VaniPrakashan #VaniAuthor #VaniBooks #ReadWithVani #अपनीभाषाअपनागौरव #Availableinflipkart #Availableinamazon

5/3/2024, 4:14:26 PM

वेश्या का मकान ख़ुद एक जनाज़ा है जो समाज अपने कन्धों पर उठाये हुए है। वह उसे जब तक कहीं दफ़न नहीं करेगा, उसके मुताल्लिक़ बातें होती ही रहेंगी। -सआदत हसन मण्टो ‘गुनहगार मण्टो’ पुस्तक से ✔️Buy Online : ➡️ https://tinyurl.com/4hkykvx8 (𝐕𝐚𝐧𝐢 𝐎𝐟𝐟𝐢𝐜𝐢𝐚𝐥 𝐖𝐞𝐛𝐬𝐢𝐭𝐞) ➡️ https://amzn.in/d/9KL78VH ( 𝐚𝐦𝐚𝐳𝐨𝐧) ➡️ https://tinyurl.com/yzzdawt2 (𝐟𝐥𝐢𝐩𝐤𝐚𝐫𝐭) 𝘼𝙗𝙤𝙪𝙩 𝙏𝙝𝙚 𝘼𝙪𝙩𝙝𝙤𝙧 सआदत हसन मण्टो मण्टो फ़रिश्ता नहीं, इंसान है। इसलिए उसके चरित्र गुनाह करते हैं। दंगे करते हैं। न उसे किसी चरित्र से प्यार है न हमदर्दी। मण्टो न पैग़म्बर है न उपदेशक । उसका जन्म ही कहानी कहने के लिए हुआ था। इसलिए फ़साद की बेरहम कहानियाँ लिखते हुए भी उस का क़लम पूरी तरह क़ाबू में रहा । मण्टो की ख़ूबी यह भी थी कि वो चुटकी बजाते एक कहानी लिख लेता था। और वो भी इस हुनरमंदी के साथ कि चुटकी बजाते लिखी जाने वाली कहानियाँ भी आज उर्दू-हिन्दी अफ़साने का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा बन चुकी हैं। सआदत हसन मण्टो उर्दू-हिन्दी के सर्वाधिक लोकप्रिय एवं महत्त्वपूर्ण कथाकार माने जाते हैं। जन्म, 11 मई 1912 को जिला लुधियाना में हुआ। आरंभिक शिक्षा अमृतसर एवं अलीगढ़ में हुई। विभाजन एवं दंगा संस्कृति पर लिखी समस्त कहानियाँ आज दस्तावेज़ बन चुकी हैं। मण्टो ने मुम्बई की बॉलीवुड नगरी में भी संवाद लेखक के तौर पर काम किया। एक साप्ताहिक पत्रिका 'मुसब्बर' का संपादन भी किया। मुम्बई में फ़िल्मसिटी, फिल्म कंपनी और प्रभात टॉकीज़ में भी नौकरी की। 1948 में पाकिस्तान चले गये और 1955 में इस महान कथाकार की मृत्यु हो गई। मण्टो की पहली कहानी तमाशा थी । मण्टो ने बग़ैर उन्वान के नाम से इकलौता उपन्यास लिखा। उनकी अंतिम कहानी कबूतर और कबूतरी थी । #vaniprakashan #vaniprakashangroup #Vani1 #GunahagaarManto #Manto #bookavailableinamazon #bookavailableinflipkart #VaniKaljayi #VaniClassic #SaadatHasanManto #VaniAuthor #VaniBooks #ReadWithVani #अपनीभाषाअपनागौरव #bestpublicationhouseindelhi #publishing #published #publishedauthor

5/3/2024, 11:25:19 AM

सुपरिचित कवि-लेखक बोधिसत्व की पुस्तक ‘महाभारत : यथार्थ कथा’ महाभारत के अनेक प्रसंगों की गहराई से पड़ताल करते हुए तथ्यों की सटीक प्रस्तुति के साथ प्रचलित धारणाओं और मान्यताओं पर प्रश्न खड़े करती है। यह एक सुचिन्तित विमर्श ही है कि महाभारत के सारे सत्य अर्धसत्य हैं। बोधिसत्व छूट गये अर्द्ध-सत्यों की कथा कहते हैं। -राधावल्लभ त्रिपाठी प्रस्तुत अंश में बोधिसत्व ने महाभारत में हुए दल-बदल की प्रक्रिया और उसके परिणामों पर अपने विचार प्रस्तुत किये हैं। महाभारत के कुछ अनछुए पहलुओं दृष्टि डालते हुए लेख में उनका वर्णन किया है। पढ़िए हमारे ब्लॉग पर यह अंश। 👉https://tinyurl.com/yv36nruc @bodhi_sattvam #Vani61 #महाभारत:यथार्थकथा #बोधिसत्व #VaniBooks #VaniAuthor #ReadWithVani #अपनीभाषाअपनागौरव #mahabharat #mahabharatkatha #mahabharatquotes #mahabharatinbook #VaniPrakashan #kahanimahabharatki #readblog #blog #blogger #blogging

5/2/2024, 4:32:00 PM

#finished_reading 'तुम्हारे जाने के बाद' by 'डॉ इंदु सिन्हा' मेरी पसंदीदा कविताएं रहीं - 'कहाँ है मेरा गाँव' कविता कंक्रीट के बढ़ते जंगलों को दर्शाती है और 'तुम्हारे जाने के बाद' कविता एक माँ के बेटे के खोने को दर्द को। @vaniprakashanbooks #TumhareJaaneKeBaad #InduSinha #Poetry #Kavita #HindiKavita #Books #Read #Poetrybooks #VaniPrakashan #DrImduSinha #Bookish_imPkOET

5/1/2024, 4:00:36 PM

'जिनके पास और कुछ नहीं होता उनके बटुए में आशा होती है और भाषा भी' Working Women's Hostel by Anamika ji. A poetry book with muscle and heart - took me nearly 4 months to sieve through the nuances of the poems compiled here. I cannot say I have been successful, but what I could glean made a deep dent and impact on my mind. @vaniprakashanbooks 36th read of the year. #Books #VaniPrakashan #VaniBooks #InstaPoetry #Kavita #HindiPoetry #HindiLiterature #AmReading #ReadHindi #Potd #Qotd

4/28/2024, 4:01:00 PM

Ness wadia college of commerce Won 1st Prize at CHRIST COLLEGE and get Champions Trophy .....I really appreciate each and everyone and proud to be My Champs (Dream of Drama) 🎭🎭🏆🏆🏆 #NukkadNatak #नुक्कड़नाटक #Dastak #Street Theatre #TheatreForChange, #TheatreForSociety #Femalefoeticide #StopAcidViolence #Domestic Violence #StopViolence Against Women #StopAcidAttacks #AcidAttack #StreetPlay #VaniPrakashan #ArvindGaur #OBR #OneBillionRising #Sangat. #OneBillionRising2020 #RiseResistUnite #trafficawareness #EveEnsler #VDay #Theatre4Change #Theatre4Society #Mard #Aajeevika #Sangat

4/25/2024, 1:54:43 PM

राजकमल चौधरी जी 🪗📚 Sahityayatri Classics series 🎈 Artwork (पोस्टर) : साहित्ययात्री 🌻 Music : #कुछ_अलग_कुछ_नया #राजकमलचौधरी #rajkamalchaudhary #vaniprakashan #rajkamal #quotes #life #art #quoteoftheday #calligraphy #artwork #digitalillustration #sahityayatri #साहित्ययात्री #साहित्य #bookstagram #hindi #literaturequotes #hindilines #hindipoetry #books #booklover #2024

4/18/2024, 8:06:32 AM

स्त्री विमर्शा और कविताएं- #रानियांसबजानतीहैं कविता की इस किताब पर अमर उजाला - काव्य में प्रकाशित प्रख्यात ब्रॉडकास्टर सुखनंदन बिंद्रा की समीक्षा। कविताओं के नए स्वर इस साल आप तक पहुंचेंगे। उससे पहले एक बार रानियों की आवाज सुननी जरूरी है। धर्मेंद्र पारे और अदिति का शुक्रिया। Dharmendra Pare के बनाए डिजाइन ने इस किताब को निखारा है। #raniyansabjantihain #VaniPrakashan #vartikananda #literature @sukhnandan_bindra #womenliterature #womenwiritng

4/3/2024, 7:14:02 AM

#Hot_Off_The_Press #नयीबहार ‘डेड एंड’ - पद्मेश गुप्त ‘डेड एंड’ पद्मेश गुप्त की कहानियों का नवीनतम संग्रह है। मूल्यों के टकराव का सजीव चित्रण है पद्मेश गुप्त के लेखन में। 'तिरस्कार', 'डेड एंड', 'कब तक' मिली-जुली संस्कृति के टकराव को बख़ूबी चिह्नित करती हैं। पद्मेश जी रफ़्तार से कहानी आगे बढ़ाते हैं और अन्त तक आकर पाठक को अपने कथा-संसार में शामिल कर लेते हैं। -ममता कालिया, वरिष्ठ कथाकार * ‘Dead End’ - Padmesh Gupta ‘Dead End’ is a powerful and an emotional selection of short stories by renowned award- winning Hindi poet and author Dr. Padmesh Gupta. His talent as a writer captures the desire and passion of everyday relationships. - Steve Hartley, Senior Journalist, Oxford @mamta.kalia.77 @gupta_padmesh #Vani61 #NewRelease #DeadEnd #Hindi #English #PadmeshGupta #YatraBooks #VaniPrakashan #VaniAuthor #VaniBooks #ReadWithVani #अपनीभाषाअपनागौरव

3/27/2024, 9:40:07 AM

'मैंने बदला वरक़, फिर से स्याही भरी रंग तब्दील शब्दों के होने लगे और फिर यूँ हुआ वस्ल और चुम्बन के हर वाक्य पर यह क़लम ढीठ, ज़िद्दी अकड़कर खड़ा हो गया" __किले की दीवार और चिड़ियाँ का तिनका संग्रह से__प्रेमा झा विश्व कविता दिवस की बधाई। . . . . #Premajha #premapoetess #premajha #language #literature #साहित्य #हिंदीसाहित्य #हिंदी #hindi #indianpoet #hindiliterature #विश्वकवितादिवस #बधाई #कविता #poem #विश्वकवितादिवस2024 #poetry #worldpoetryday #impoem #iampoem #vaniprakashan #bhartiyajnanpith_vaniprakashan

3/21/2024, 12:40:37 PM

• किले की दीवार और चिड़ियाँ का तिनका गाड़ी गुजर रही थी अपनी गति से धीमे-धीमे दूर जाती हुई. मैंने खिड़की से/ कई दृश्य देखे जो रस्ते में चलते-चलते बीच में आ जाते गोया एक कहानी-सी बुन रही थी- मैं दृश्यों के आगे-पीछे उनके भूगोल और वर्तमान जानने की उत्सुकता में अपने सहयात्री से पूछती हूँ सहयात्री कुछ थमकर कह पड़ता है कभी बहुत पहले यहाँ किला हुआ करता था अब पक्का मैदान बन गया है. ये कुछ टूटी-फूटी दीवारें बची हुई हैं जो खुले आसमान के नीचे निनाद करती हुई-सी खड़ी हैं और जो हवा यहाँ से गुजर के जाती है उसकी कोई दिशा या नाम नहीं होता मैं दृश्यों को छोड़ती हुई आगे बढ़ती हूँ फिर दूसरा दृश्य आ जाता है कोई चिड़िया गाती है/ कोई खेत आता है एक घोसला बुनता हुआ देखती हूँ- चिड़िया की चोंच का तिनका मुझे उस किले की दीवार से मज़बूत मालूम पड़ता है फिर आगे जाती हुई गाड़ी से कुछ और दृश्य आते हैं मैं अपने गंतव्य तक पंहुच चुकी हूँ. आज उस यात्रा के दशक बीत चुके हैं मगर जो कुछ बार-बार मेरी आँखों के सामने एक फ्लैशबैक-सा घूमता और चमकता है उसमें मैं पाती हूँ किले की दीवार और चिड़ियाँ का तिनका और भी कई हरी-नीली तस्वीरें जो अभी भी यहीं कहीं तैरती हुई-सी जान पड़ती हैं. ____किले की दीवार और चिड़ियाँ का तिनका संग्रह से__ विश्व गौरैया दिवस पर विशेष __प्रेमा झा . . . #किले_की_दीवार_और_चिड़ियाँ_का_तिनका #प्रेमाझा #Premajha #premapoetess #premajha #vaniprakashan #bhartiyajnanpith_vaniprakashan #विश्वगौरैयादिवस #worldsparrowday

3/20/2024, 8:51:12 AM

#VaniLondon #ख़बरमें भारत के प्रतिष्ठित पुस्तक प्रकाशक वाणी प्रकाशन ग्रुप ने तीन तक चलने वाले लन्दन बुक फेयर में ना सिर्फ़ प्रतिभाग किया; बल्कि तीन पुस्तकों के लोकार्पण का भव्य आयोजन भी किया। साभार : @navodayatimes @nbtindia @gupta_padmesh @londonbookfair @kitabwali @oxford_business_college #Vani61 #LondonBookFair2024 #BookLaunch #YatraBooks #VaniPrakashan #VaniAuthor #VaniBooks #ReadWithVani #अपनीभाषाअपनागौरव

3/18/2024, 12:16:23 PM

#VaniLondon #ख़बरमें लंदन बुक फेयर में वाणी प्रकाशन ग्रुप द्वारा हिन्दी पुस्तकों का लोकार्पण एक अभूतपूर्व उपलब्धि है। यह वैश्विक स्तर पर हिंदी भाषा और साहित्य को अधिक पहचान दिलाने का मार्ग प्रशस्त करता है। साभार : साहित्य सांदीपनि @nbtindia @gupta_padmesh @londonbookfair @kitabwali @oxford_business_college #Vani61 #LondonBookFair2024 #BookLaunch #YatraBooks #VaniPrakashan #VaniAuthor #VaniBooks #ReadWithVani #अपनीभाषाअपनागौरव

3/16/2024, 11:51:25 AM

#VaniLondon #ख़बरमें एक ऐतिहासिक पहल में, पहली बार किसी हिन्दी भाषा के प्रकाशक ने प्रतिष्ठित लंदन बुक फेयर में हिस्सा लिया। भारत के अग्रणी प्रकाशन ग्रुप, वाणी प्रकाशन ग्रुप ने न केवल तीन दिवसीय लंदन बुक फेयर 2024 में भाग लिया बल्कि अपनी तीन पुस्तकों का भव्य लोकार्पण समारोह भी आयोजित किया। साभार : गजरोला टाइम्स ख़बर का लिंक : https://gajraulatimes.com/london-book-fair-vani-prakashan-books-news/ @nbtindia @gupta_padmesh @londonbookfair @kitabwali @oxford_business_college #Vani61 #LondonBookFair2024 #BookLaunch #YatraBooks #VaniPrakashan #VaniAuthor #VaniBooks #ReadWithVani #अपनीभाषाअपनागौरव

3/16/2024, 11:41:22 AM

#VaniLondon #ख़बरमें लंदन पुस्तक मेले 2024 में वाणी प्रकाशन ग्रुप की श्रेष्ठ साहित्य के साथ सहभागिता। साभार : @prajaatantra #Vani61 #LondonBookFair2024 #BookLaunch #YatraBooks #VaniPrakashan #VaniAuthor #VaniBooks #ReadWithVani #अपनीभाषाअपनागौरव

3/16/2024, 11:20:23 AM

#VaniLondon #ख़बरमें “पद्मेश गुप्त का साहित्य संसार वृहद है। और यह हिन्दी और हिन्दी भाषा मे रचा हुआ प्रवासी भारतीय साहित्य की दुनिया में नये कीर्तिमान स्थापित करता आया है।“- स्टीव हार्टले (वरिष्ठ पत्रकार) साभार : #TheYoungistan ख़बर का लिंक : https://theyoungistaan.com/hindi-lit-and-vanis-independent-publishing-shine-at-london-book-fair/ @nbtindia @gupta_padmesh @londonbookfair @kitabwali @oxford_business_college #Vani61 #LondonBookFair2024 #BookLaunch #YatraBooks #VaniPrakashan #VaniAuthor #VaniBooks #ReadWithVani #अपनीभाषाअपनागौरव

3/16/2024, 11:14:06 AM

#VaniLondon #ख़बरमें “भारत और ब्रिटेन के साहित्य में समांतर रूप से अपने इतिहास को दर्ज़ भी किया है और उजागर भी किया है आज अपने पूर्व शासकों के देश में अपनी भाषा की पुस्तकों उन्हीं के पुस्तक मेले में लोकार्पित करना बहुत गर्व की बात है” – अनामिका (साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित लेखिका) साभार : @jansatta_ig @nbtindia @gupta_padmesh @londonbookfair @kitabwali @oxford_business_college #Vani61 #LondonBookFair2024 #BookLaunch #YatraBooks #VaniPrakashan #VaniAuthor #VaniBooks #ReadWithVani #अपनीभाषाअपनागौरव

3/16/2024, 11:06:29 AM

#VaniLondon #ख़बरमें यह पहली बार हुआ है कि हिन्दी भाषा के किसी प्रकाशक ने ‘लन्दन बुक फेयर’ में शिरकत की हो। भारत के प्रतिष्ठित पुस्तक प्रकाशक वाणी प्रकाशन ग्रुप ने तीन तक चलने वाले लन्दन बुक फेयर में ना सिर्फ़ प्रतिभाग किया; बल्कि तीन पुस्तकों के लोकार्पण का भव्य आयोजन भी किया। साभार : @news18hindi ख़बर का लिंक : https://hindi.news18.com/news/literature/sahitya-sansar-vani-prakashan-3-books-released-in-london-book-fair-literature-hindi-sahitya-8150483.html #google_vignette @nbtindia @gupta_padmesh @londonbookfair @kitabwali @oxford_business_college #Vani61 #LondonBookFair2024 #BookLaunch #YatraBooks #VaniPrakashan #VaniAuthor #VaniBooks #ReadWithVani #अपनीभाषाअपनागौरव

3/16/2024, 10:58:25 AM

#VaniLondon #ख़बरमें लंदन पुस्तक मेले में वाणी प्रकाशन ग्रुप (वाणी प्रकाशन व यात्रा बुक्स) से प्रकाशित प्रतिष्ठित कवि एवं कथाकार डॉ. पद्मेश गुप्त का नया कहानी संग्रह ‘डेड एंड’ (हिन्दी व अंग्रेज़ी) और विश्वप्रसिद्ध व्यवसायी डेम आशा खेमका की आत्मकथात्मक कृति ‘India Made Me Britain Enabled Me’ का लोकार्पण साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित लेखिका अनामिका, कथाकार दिव्या माथुर, नेशनल बुक ट्रस्ट इंडिया के निदेशक युवराज मलिक, वाणी प्रकाशन ग्रुप की कार्यकारी निदेशक अदिति माहेश्वरी-गोयल व अन्य स्वनामधन्य लोगों की गरिमामयी उपस्थिति में हुआ। साभार : दैनिक आर्यावर्त केसरी, विवेक रंजन श्रीवास्तव @nbtindia @gupta_padmesh @londonbookfair @kitabwali @oxford_business_college #Vani61 #LondonBookFair2024 #BookLaunch #YatraBooks #VaniPrakashan #VaniAuthor #VaniBooks #ReadWithVani #अपनीभाषाअपनागौरव

3/16/2024, 10:40:29 AM

#VaniLondon #ख़बरमें लंदन पुस्तक मेले में वाणी प्रकाशन ग्रुप से प्रकाशित तीन पुस्तकें ‘डेड एंड : हिन्दी व अंग्रेज़ी’ (डॉ. पद्मेश गुप्त) और ‘India Made Me Britain Enabled Me’ (डेम आशा खेमका) लोकार्पित की गयी। यह भारतीय हिन्दी प्रकाशन इतिहास में नया कीर्तिमान है। साभार : दैनिक भास्कर दूत, विवेक रंजन श्रीवास्तव @nbtindia @gupta_padmesh @londonbookfair @kitabwali @oxford_business_college #Vani61 #LondonBookFair2024 #BookLaunch #YatraBooks #VaniPrakashan #VaniAuthor #VaniBooks #ReadWithVani #अपनीभाषाअपनागौरव

3/16/2024, 10:30:17 AM

समीक्षा : शुद्धि (उपन्यास) लेखिका : वन्दना यादव जी प्रकाशक : वाणी प्रकाशन प्रथम संस्करण : 2022 ___________//___________ एक संयुक्त परिवार उस समाज का एक छोटा रूप होता है जिसमें आने वाली परेशानियों को,उनके रिश्तों के बीच की कड़वाहट को , और हर उस पक्ष को समझा जा सकता है जिसकी वजह से एक समाज दूसरे से अलग साबित होता है या होना चाहता है। ऐसा ही एक परिवार है शेरशिंह का जिसके बारे में ये उपन्यास "शुद्धि" हमें कई सारे पक्षों से रूबरू करवाता है जिसे लेखिका वन्दना यादव जी ने बड़ी बारिकी से लिखा है। इसमें शेरसिंह जो की अपने परिवार में सबसे बड़ा है उसकी मृत्यु के बाद कैसे परिवार के लोगो और रिश्तों में आपसी मतभेद ऊबर कर आते है और कैसे इस परिवार की महिलाओं के हिस्से आने वाले सभी अनुभवों को समाज और परिवार के अन्य सदस्य देखते है समझते है और शायद महसूस भी करते है बस उसी की कहानी है ये उपन्यास। कहानी में शेरसिंह के मरने के बाद उसकी आत्मा की मदद से पुरुष पक्ष को भी व्यक्त करने का प्रयास किया गया है जो मेरे हिसाब से बड़ी रोचक कोशिश थी। कहानी के मुख्यपात्र की बात करे तो वो शेरसिंह ना होकर उनकी धर्मपत्नी रामप्यारी का किरदार है जो बेहद कमाल ढंग से लिखा गया है और उपन्यास के शुरुआत से लेकर उसके अंत तक उस किरदार का सफर एक पूरा जीवन प्रतीत होता है ढेरों उतर चढ़ाव और भावनाओं से ओतप्रोत परिस्थितियों में भी रामप्यारी का किरदार कमाल का बनकर सामने आता है। इसके अलावा जितने भी दूसरे किरदार है जैसे चाहे हो सुलोचना हो, पुष्कर हो, पार्वती हो, सीमा हो या लाल सिंह का किरदार हो सभी के परिवार के साथ और बाकी लोगो के साथ जैसे उन्हें बुना गया है वो आपकों पढ़ने में बहुत साधारण सा प्रतीत होगा उनके डर और उनके चयन जीवन को लेकर बहुत स्वाभाविक से लगेंगे आपकों जो शायद इस उपन्यास की सबसे कमाल बात रही मेरे लिए। एक के बाद आने वाली परेशानियों से ये पूरा परिवार किस तरह तेरहवीं का और शुद्धि का कार्यक्रम करवाता है बस उसी 27 दिनों की कहानी है ये उपन्यास, उपन्यास राजस्थान की पृष्ठभूमि पर आधारित है और उस हिसाब से भाषा शैली काफ़ी हद तक सही रखी गई है बस कहीं कहीं क्लिष्ट राजस्थानी शब्दों का प्रयोग है इसके अलावा वाक्य विन्यास और कहानी को जिस तरह लिखा गया है वो अच्छा है। (शेष 📌 कॉमेंट में पढ़ें 👇) #कुछ_अलग_कुछ_नया #bookreview #शुद्धि #वन्दना_यादव #vaniprakashan #साहित्ययात्री #उपन्यास #life #bookstagram #booklover #2024 #sahityayatri #review

3/16/2024, 7:41:12 AM

Impressive storyline, magnetic attention, and the best version of the suspense thriller, the curtain raiser of the odds and drawbacks of the system. Undoubtedly, the Indian James Bond, @mbmusings1 Mukesh Bhardwaj, you are giving the clues for a superhit suspense thriller for movie content. I hope your work will translate into big-screen resources. Nakkash, a must-read novel by Mukesh Bhardwaj, editor, Jansatta. ______ Prema Jha✍️ 👇 Novel: Nakkash Publisher: Vani Prakashan @vaniprakashanbooks Price: 315 INR/ Book Availability: Amazon, Flipkart, and Vani Prakashan's website. . . . . #mukeshbhardwaj #nakkash #vaniprakashan #amazon #Premajha #premapoetess #jemsbond #novelist #novel #suspensethriller #novelwork #jansatta #editor #writer

3/15/2024, 4:08:49 AM

साधारण नामों और पहचानों वाले भारतीय यात्रियों, मैं देख रहा हूं तुम्हें इतिहास का हस्ताक्षर बनते हुए। It was during working for @dehradunliteraturefestival that I got introduced to @kailash.satyarthi - the person, the social reformer, the public speaker and the poet! For the last, my introduction to him was through this beautiful book, published by @vaniprakashanbooks As claimed by Kailash ji himself in the foreword, he is not a poet. But through what he felt and observed, his pen moved of its own accord, and thus were born the poem collected herein. Some move you, some jar you, and all can make you guess what might have been going on behind those words, what experience, what observation and what emotion. 25th of the year. #Books #VaniPrakashan #VaniBooks #Bookstagram #KailashSatyarthi #NobelLaureate #NobelPeacePrize #SaveChildren #Bachpan #BachpanBachaoAndolan

3/11/2024, 5:53:58 AM

आज अस्मिता थियेटर ग्रुप ने सपेरा बस्ती, घरोली गांव, ईस्ट दिल्ली में नुक्कड़ नाटक 'दस्तक' का मंचन किया। अरविन्द गौड़ द्वारा लिखित और निर्देशित दस्तक, भारतीय नुक्कड़ नाटक आंदोलन का सर्वाधिक मंचित, चर्चित और प्रासंगिक नाटक है। अस्मिता थिएटर ग्रुप ने दस्तक नुक्कड़ नाटक 2010 में शुरू किया था। गली मौहल्लों से लेकर स्कूल, कालेज, कालोनियों, बस्तियो और चौराहों पर इसके अब तक हजारों से ज्यादा शो हो चुके हैं। Dastak street play available in 'Nukkad Par Dastak' book published by Vani Prakashan #AsmitaTheatre #Theatre #VaniPrakashan #BookFair #NukkadParDastak #NukkadNatak #नुक्कड़नाटक #Dastak #StreetTheatre #Delhi #TheatreForChange #TheatreForSociety #Femalefoeticide #StopAcidViolence #DomesticViolence #StopViolenceAgainstWomen #StopAcidAttacks #AcidAttack #StreetPlay #Drama #Acting #delhidiaries #delhincr #delhincr

3/2/2024, 4:10:16 PM

Today I'm feeling proud of myself✨💃📚✍️🎉🐦🐧 भारतीय ज्ञानपीठ-वाणी प्रकाशन 📰🗞️ हॉल नं. 1, स्टॉल नं. Q8, विश्व पुस्तक मेला 2024, प्रगति मैदान, नई दिल्ली अपनी प्रति सुरक्षित कर लें। 📚📖📗 धन्यवाद, प्रेमा झा ✍️ #प्रेमाझा #premapoetess #Premajha #premajha #vaniprakashan #bhartiyajnanpith #bhartiyajnanpithpublication #bhartiyajnanpith_vaniprakashan #poetryismylife #poetrybook #poetryreading #poetryreaders #poetryreview #pragatimaidan #worldbookfair #newdelhi

2/17/2024, 1:07:37 PM

Basant Mubarak! Muhabbat Mubarak! On a day marked by love, learning, spring, renewal and optimism, I decided to don this beautiful saari, and went around all of Delhi to celebrate a day with myself and with mine. The day began at #GargiCollege , judging a #PoetrySlam on the theme of 'falling in, falling out'. Then, went over for a quick tour of the #WorldBookFair to meet my favourite people and pick up some unmissable books from #VaniPrakashan. And the day ended with endless cups of tea with my favourite babies. Couldn't have asked for more. Sunshine in the sky. Sunshine in my heart. Obeisance to Saraswati. May wisdom and learning forever hold my hand. #ValentinesDay #MaheshwariSilk #Saree #SilkSaree #InstaLove #BasantPanchami #Spring #Renewal #Yellow #Rose #Flowers #DelhiLove #DelhiEvents #DelhiUniversity

2/14/2024, 4:17:35 PM

आज शाम World Book Fair में स्वामी ओमा The अक् का पहला काव्य संग्रह "महंगी कविता" का लोकार्पण... स्वागत है आपका... @vaniprakashanbooks #mahangikavita #swamiomaji #swamioma #omatheakk #VaniPrakashan

2/13/2024, 11:23:05 AM

आज शाम विश्व पुस्तक मेले में स्वामी ओमा The अक् का पहला काव्य संग्रह "महंगी कविता" का लोकार्पण... स्वागत है आपका... Oma The AKK Vani Prakashan #mahangikavita #swamiomaji #swamioma #omatheakk #VaniPrakashan

2/13/2024, 11:16:36 AM

मुहल्ला सलीमबाग की जितनी तारीफ की जाए कम है क्योंकि यदि आप एक बार इसे पढ़ने बैठेंगे तो पूरा किए बिना रह ही नहीं सकते क्योंकि फिर मन में अपने आप एक उथल-पुथल सी शुरू हो जाती है कि अब आगे क्या होगा... अब किस पर शक किया जाएगा... क्या कातिल पकड़ा जाएगा... कातिल कौन होगा... ऐसी तमाम बातें जहां एक समाजसेवी नेताजी मोहनबाबू की उन्हीं के शागिर्द कल्लू द्वारा हत्या कर दी जाती है और फिर लीला का मन भी इस भारी दुख के कारण शांत नहीं रहता और वह हत्यारे को ढूंढने की कोशिश करते हुए कई लोगों पर संदेह करने लगती है और कई बार तो मोनू एवं उसकी मम्मी वहीदा, सोनू, पार्षद राजेश, सब्जी वाली सुनीता, वसु और अंत में सुमन को भी हत्यारा मान लेती है लेकिन शायद कल्लू पर ही उसका शक नहीं जाता जबकि कल्लू के मां-बाप ठकुराइन लीला के मन में मोनू और वहीदा तथा ठाकुर साहब सब्जी वाली सुनीता के लिए शक पैदा कर देते हैं और सब कुछ जानते हुए भी पुत्र मोह में कई दिनों तक ठाकुर साहब खामोश रहते हैं ताकि उनका बेटा कल्लू ना पकड़ा जाए लेकिन जब कल्लू अपना अपराध सुमन पर थोपना चाहता है तो वह हिम्मत जुटाकर सच बता ही देते हैं..!! वास्तव में बहुत ही अच्छा उपन्यास है मुहल्ला सलीमबाग एक गुत्थी, कई संदिग्ध... मैं तो आप सबसे यही कहूंगा कि Amazon से तुरंत बुक कीजिए और जरूर पढ़िए... Ankita मैंम का पुनः मुहल्ला सलीमबाग के लिए हृदय से आभार एवं बहुत बहुत धन्यवाद ❤🙏😊 @postankitajain @artandankita #ankitajain #writerankita #vaniprakashan #novelslover #मुहल्ला_सलीमबाग #journalistadityabhardwaj

2/12/2024, 6:55:55 PM

भारतीय ज्ञानपीठ-वाणी प्रकाशन 📰🗞️ हॉल नं. 1, स्टॉल नं. Q8, विश्व पुस्तक मेला 2024, प्रगति मैदान, नई दिल्ली अपनी प्रति सुरक्षित कर लें। 📚📖📗 धन्यवाद, प्रेमा झा ✍️ #प्रेमाझा #premapoetess #Premajha #premajha #vaniprakashan #bhartiyajnanpith #bhartiyajnanpithpublication #bhartiyajnanpith_vaniprakashan #poetryismylife #poetrybook #poetryreading #poetryreaders #poetryreview #pragatimaidan #worldbookfair #newdelhi

2/11/2024, 1:01:45 PM

🔸'भारती' के सम्पादन में सरला ने अपने को पूरी तरह झोंक दिया। अपनी दीवार पर उसने चालीस लेखकों के नाम कागज़ पर लिखकर टाँग दिये, जिन्हें वह महीने में एक बार रचना भेजने के लिए पत्र लिखती। 'भारती' ने पहली बार लेखकों को रचना के लिए पारिश्रमिक देना शुरू किया। पहली बार बांग्ला की कोई पत्रिका समय पर निकलने लगी। सरला खुद गाड़ी में बैठी-बैठी प्रूफ़ जाँचकर प्रिंटर के पास पहुँचा देती। लोग हाथ में पत्रिका आने पर कहते, "अच्छा, आज महीने का पहला दिन होगा!" शरतचन्द्र ने बर्मा में रहते हुए अपने लेखन के शुरुआती दिनों में 'बड़ी दीदी' लिखकर 'प्रवासी' पत्रिका को भिजवायी थी, पर उन्होंने वह लौटा दी। शरतचन्द्र के मामा उसकी पाण्डुलिपि 'भारती' के दफ्तर में छोड़ गये। सरला ने उसे पढ़ा, तो आनन्द से भर गयी, "हम 'बड़ी दीदी' को 'भारती' में तीन महीनों के तीन अंक में छापेंगे, पर लेखक के नाम के बिना। लोग सोचेंगे कि यह रवीन्द्रनाथ की रचना है। तीसरे अंक में हम लेखक का नाम देंगे।" सचमुच ऐसा करने से लोगों का ध्यान रचना पर गया। — अलका सरावगी

2/5/2024, 7:19:03 AM

समीक्षा : ताज़ी हवा कैसे उगाएँ लेखक : कमल मीयत्तल और बरून अग्रवाल अनुवाद : वसंती मीयत्तल प्रकाशक : वाणी प्रकाशन (वाणी पृथ्वी) प्रथम संस्करण : 2023 ___________//___________ विश्व में औद्योगिक विकास का जिस तरह समय के साथ विकास हुआ है और लगातार होते जा रहा है उससे मनुष्य की कई तरह की मुश्किलें तो कम हुई है मगर साथ ही साथ पर्यावरण को निश्चित रूप से बड़ा गहरा नुकसान भी हुआ है। हम अगर भारत को बात करे तो लगभग हर बड़ा शहर किसी न किसी तरह प्रदूषण से ग्रस्त है और उनमें वायु प्रदूषण एक आम समस्या बनती जा रही है जिसके कारण अस्थमा, कैंसर जैसी अनेकों बीमारियों की संभावना कई गुना बढ़ गई है वहां रहने वाले लोगो में जिसकी गंभीरता का एक नमूना हमें कोरोन काल में देखने को मिला जब सब तरफ एक डरावनी शांति पसरी हुई थी वहीं दूसरी तरफ प्रकृति को एक मौका मिला अपने आपको थोड़ा ठीक करने का और हमने ये अपनी आंखों से देखा की किस तरह हमारे शहरों का एयर क्वालिटी एक जादुई तरह से सुधार दिखाने लगी जिसका एक सीधा मतलब ये भी समझ आया की प्रदूषण को रोका जा सकता है फिर से शुद्ध हवा में सांस ली जा सकती है। ये किताब भी उसी वायु प्रदूषण के कारण , और उपायों पर कई तरह के सुझाव को हमारे सामने रखती है जिसमे आपकों कई वैज्ञानिक आधार पर जुटाए आंकड़े भी देखने को मिलते है और कई तरह के पौधों के बारे में जानकारी भी मिलती है जिससे वायु प्रदूषण को कम करने के साथ ही वायु की शुद्धता या एयर क्वालिटी को बढ़ाया भी जा सकता है। इस किताब के लेखक खुद इस समस्या के कारण जिस तरह अपने फेफड़ों को क्षमता कम होने के बावजूद भी समाधान के लिए लगे रहे है वो उसी यात्रा को हमारे सामने रखते है। इस किताब में अंदरूनी हवा पीआर भी उतना ही फोकस रखा गया है जितना बाहरी हवा पर, और पेड़ पौधों के साथ ही उचित आहार और व्यायाम के बारे भी विस्तृत रूप से उनके प्रभावों पर प्रकाश डाला गया है। हम एक समुदाय के रूप में एक साथ जोड़कर पर्यावरण संबंधी समस्याओं का कैसे समाधान ढूंढ सकते है इस पर भी ये किताब आपकों बताती है। अगर आप पर्यावरण संबंधी विषयों पर कुछ सार्थक पढ़ने के इच्छुक है तो ये किताब आपके लिए है। आप इसे जरूर पढ़े। इस क़िताब के लेखकों को शुभकामनाएं साथ ही अदिति माहेश्वरी जी और वाणी प्रकाशन का भी विशेष रूप से धन्यवाद क़िताब के लिए 🌻📚🙏 - साहित्ययात्री (०३/०२/२०२४) #कुछ_अलग_कुछ_नया #bookreview #vaniprakashan #environment #airpollution #airqualityindex #2024 #साहित्ययात्री #life #nature

2/3/2024, 11:06:42 AM

"गुनाहों का देवता" एक ऐसी जादुई किताब जिसको पढ़ने के बाद आदमी का भावनाओं और उदासीयों के समंदर में डूबना तय है। इसको मैंने साल(2024) की पहली किताब के रूप में पढ़ना प्रारम्भ किया और भावनाओं के सागर में उदासियों के सागर में डूबता चला गया ,  जैसे - जैसे आगे बढ़ते गया अंतर आत्मा कराह उठती कि अब रुक भी जाओ पर दिल मानने को तैयार नहीं हाथ रुकने को तैयार नहीं, पन्ना-दर पन्ना उलटता रहा आंखों से आँशु का झरना बहकर पन्ने को भिगोता रहा! दर्दनाक कहानी खत्म हुई लेकिन आँशु , दुख , दर्द , पीड़ा और उदासी , कसक निरन्तर अभी भी जारी है। सुधा और चन्दर का निःस्वार्थ प्रेम - पवित्र प्रेम और दर्दनाक प्रेम आपके स्मृति में हमेशा के लिए इस तरह अंकित हो जाएंगे कि आपका चाह कर भी इस उपन्यास से बाहर निकल पाना शायद मुश्किल है। आप भावनाओं के सागर में कुछ इस तरह डूब जाएंगे कि आपके आंखों से अवश्य ही आँसू छलक पड़ेंगे। आपके जेहन में बार - बार एकहि सवाल घूमेगा की आखिरकार क्यों और कैसे सुधा शिखर से शून्य तक पहुंच गई? ऐसा भी कहा जा सकता है कि गुनाहों का देवता और दुख , दर्द , पीड़ा , आँशु , उदासी के दूसरे के पूरक हैं। खूबसूरत और मार्मिक उपन्यास लिखने के लिए "धर्मवीर भारती जी" को  बारंबार दिल की गहराइयों से आभार! अगर आप साहित्य से घास के एक तिनके के बराबर भी प्रेम करते हैं और अभी तक इसको नहीं पढ़े है तो आप बहुत ही उम्दा उपन्यास को मिस कर रहे हैं, इन उपन्यास को जरूर पढ़े (highly recommended) !! - गुलशन . . . . . . #gulshan_kumar_gn #ganaho_ka_devta #bookreview #bookrecommendations #review #books #bookstagram #booklover #instagram #viralpost #bookofthemonth #bookoftheday #vaniprakashan

1/28/2024, 9:26:29 AM

समीक्षा : ये दिल है कि चोर दरवाज़ा लेखक : किंशुक गुप्ता प्रकाशक : वाणी प्रकाशन (सतरंगी वाणी) प्रथम संस्करण : 2023 ___________//___________ LGBTQ समुदाय को लेकर हमारे समाज में जिस तरह की भावनाएं और सोच है उसी की काफ़ी हद्द तक सही और सटीक चित्रण के साथ उन्हीं किरदारों से सजी 8 कहानियों का एक सफ़र है किशुंक गुप्ता जी द्वारा लिखी ये किताब जिसका शीर्षक है " ये दिल है कि चोर दरवाज़ा " जिसे वाणी प्रकाशन ने अपनी सतरंगी वाणी श्रृंखला के तहत प्रकाशित किया है। जो की अपने आप में एक बेहद जरूरी और सशक्त प्रयास है जिसके लिए अलग से बधाई के पात्र है वो। अब अगर कहानियों की बात करे तो सभी 8 कहानियों में एक क़िरदार LGBTQ समुदाय से ताल्लुक रखता है जिसे कहानियों में बेहद संजीदगी के साथ पेश भी किया गया है और उतनी ही ईमानदारी से उन किरदारों को लिखा भी गया है, आप उन किरदारों के भीतर तक उतर जाए उनकी मन में चल रही सारी उलझनों को बिल्कुल बारीकी के साथ आपके सामने पेश किया गया है जो लेखन शैली की खूबसूरती को दर्शाता है। किताब की पहली कहानी "मछली के कांटे" हो या "सुशी गर्ल " सभी कहानियों में अंतरंग क्षणों को इतनी खूबसूरती से लिखा है की वो आपकों उसका रंग भी दे दे और अश्लील भी ना लगें और ये वो हिस्सा है जहां अधिकतर रचनाएं रॉ होने के नाम पर अश्लीलता की तरफ अक्सर झुक ही जाती है। इसके अलावा कुछ कहानियों में घर में मां बाप और भाई बहनों के बीच की बॉन्डिंग और मनमुटाव को भी कहानी के बढ़ते बढ़ते बहुत अच्छे ढंग से गढ़ा गया है जैसे सोमिल और उसके पिता के बीच हो या गौरी और प्रफुल्ल के साथ गौरी और उसके पिता के बीच का रिश्ता, या फिर मिसेज रायजादा और डॉक्टर शिवेश के बीच का रिश्ता हो सभी आपकों कई जगह आपकों देखें और जाने पहचाने से लग जायेंगे। इसके अलावा जो सबसे अच्छी बात मुझे व्यक्तिगत तौर पर लगी वो थी कहानियों में किरदारों के बीच के संवाद जिनमें कई बार बहुत सी चीजे न कहकर भी कह दी गई जो एक कमाल का संतोष देती है पढ़ने के बाद अगर आप वहा तक पहुंच पाते है तो। अब अगर पूरे कहानी संग्रह की बात करे तो मेरी सबसे पसंदीदा कहानी " बीमार शामों को जुगनुओं की तलाश " , " रहस्यों के खुरदुरे पठार ", और "मछली के कांटे " लगी और "मिसेज़ रायजादा की कोरोना डायरी " का अंत बहुत पसंद आया। इसके अलावा बाकी कहानियां भी अच्छी है मगर कुछ बहुत डार्क लगी जैसे "तित्तलियो की तलाश में" जिसको पढ़ते हुए कई जगह मैं भी असहज हो गया। (शेष 📌 कॉमेंट में पढ़ें 👇) #कुछ_अलग_कुछ_नया #bookreview #vaniprakashan #किंशुकगुप्ता #येदिलहैकिचोरदरवाज़ा #2024

1/14/2024, 2:31:19 PM